जिनकी प्रेरणा एवं मार्ग निर्देशन से यह स्वप्न साकार हुआ है ।
" विद्वानम् सर्वत्र पूज्यते "
'की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमने आज की इस भौतिक युग की प्रतिस्पर्धा में ग्रामीण। अंचल के छात्रों की भागीदारी और उन्हें स्वावलम्बी बनाने की दिशा में हैं। महाविद्यालय खोलकर उच्च शिक्षा देने का प्रयास किया है। | आइये! शिक्षा के प्रांगण में एक ऐसा वट वृक्ष लगायें जो ज्ञान की दलालता का प्रतीक है तो ही, साथ ही साथ इसकी छाया में हम प्राप्त करें - ज्ञान, यश, समृद्धि और है सुखमय जीवन जीने का मूल मंत्र।
ग्रामीण संस्कृति ही जिस देश की विरासत हो उस विशाल देश भारत की आत्मा बसती है गावों में ।
जनपद - महराजगंज का विकास खण्ड - पनियरा उच्च शिक्षा की दृष्टि से सबसे पिष्टड़ा क्षेत्र है यहां ज्यादातर लोग गरीब हैं । विज्ञान संकाय का कोई महाविद्यालय इस क्षेत्र में स्थापित नहीं था । इसलिए यहाँ के बालक एवं बालिकाओं को उच्च शिक्षा मुख्य रूप से विज्ञान ( बी.एससी. ) बर्ग की शिक्षा के लिए सुदूर जाना पड़ता था ।
आपको यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि यह महाविद्यालय अत्यन्त ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित किया गया है । सत्र के आरम्भ के अवसर पर हम छात्र / छात्राओं अभिभावकों , अध्यापकगण को बधाई देते हुए प्रवन्ध समिति के सदस्यों के परिश्रम की प्रशंसा करते है । इस महाविद्यालय में आज के परिवेश में विज्ञान के महत्व को देखते हुए उसकी पढाई की विशेष व्यवस्था की गई । है ।